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'यूपी के मुसलमानों ने किया उत्तराखंड का रुख'

सुधाकर भट्ट/ अमर उजाला, देहरादून Updated Fri, 30 Jan 2015 12:45 PM IST
muslim population in uttarakhand.
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उत्तराखंड में मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या के तेजी से बढ़ने के पीछे सीमांत क्षेत्रों से प्रदेश में पलायन भी मुख्य वजह है। यह हम नहीं कह रहे, यह विशेषज्ञों का मानना है।



प्रदेश में मुस्लिम समुदाय की अधिकतर आबादी देहरादून, उधमसिंहनगर और हरिद्वार में सिमटी हुई है। प्रदेश में यही तीन जिले हैं जहां जनसंख्या बढ़ने की दशकीय वृद्धि दर प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले कहीं अधिक है।


हरिद्वार और उधमसिंहनगर में तो एक दशक में जनसंख्या वृद्धि दर प्रदेश की औसत दर से दो गुना अधिक है। उधमसिंहनगर से जुड़े हुए रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर, बरेली जिले हैं।
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इन जिलों से उधमसिंहनगर में मुस्लिम समुदाय का आना जाना पिछले लंबे समय से जारी है। दूसरी ओर हरिद्वार और देहरादून में भी सहारनपुर और दूसरे इलाके हैं। व्यापार से लेकर अन्य कई मामलों में इन क्षेत्रों का जुड़ाव उत्तराखंड से है।

मुस्लिम समुदाय की आबादी बढ़कर हुई 13.9%

muslim population in uttarakhand.
जनगणना के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में मुस्लिम समुदाय की आबादी पिछले दस साल में 11.9 प्रतिशत से बढ़कर 13.9 प्रतिशत हो गई है। हालांकि अभी जनगणना के स्तर से आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं हुए हैं पर जो तस्वीर उभर कर सामने आई है वह विशेषज्ञों को सोचने पर मजबूर कर रही है।

उत्तराखंड के जनगणना आंकड़ों पर नजर डाले तो तस्वीर का दूसरा पक्ष भी खुलकर सामने आ रहा है। उधमसिंहनगर में दशकीय वृद्धि दर 33.40 प्रतिशत है। देहरादून के लिए यह दर 32.48 और हरिद्वार में 33.16 प्रतिशत है। यह तब है जबकि प्रदेश की औसत दशकीय वृद्धि दर कुल 17 प्रतिशत है।

2001 की जनगणना के मुताबिक प्रदेश में सबसे अधिक मुसलमान हरिद्वार में थे। यहां 4.78 लाख मुस्लिम समुदाय के लोग थे। इसके बाद उधमसिंहनगर का नंबर है। यह इस समुदाय की जनसंख्या करीब 2.55 लाख थी। पर दशकीय वृद्धि दर उधमसिंहनगर की सबसे अधिक है।

गढ़वाली मुस्लिम की आबादी में नहीं हुआ खास इजाफा

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सामाजिक आर्थिक विश्लेषक आदित्य गौतम के मुताबिक यह स्थिति सीमांत क्षेत्र से उत्तराखंड की ओर पलायन की तरफ भी इशारा कर रही है। हालांकि इन जिलों में प्रदेश के ही अन्य जिलों से पलायन भी हुआ है। जनगणना 2001 को आधार बनाए तो पर्वतीय जिलों में मुस्लिम आबादी न के बराबर है। विशेषज्ञों की माने तो इसमें बहुत अधिक बदलाव की संभावना नही है।

विशेषज्ञों के मुताबिक गढ़वाली मुसलमान अब भी खेती बाड़ी से जुड़े हुए हैं। इनकी युवा पीढ़ी अब होस्पीलिटी सेक्टर से जुड़ना ज्यादा पसंद कर रही है। गढ़वाली मुस्लिम समुदाय पर शोध कर चुके गौरव मिश्रा के मुताबिक गढ़वाली मुस्लिम का रहन-सहन, खान-पान आदि यहां के अन्य समुदायों के समान ही है।

पलायन कर बाहर से मुस्लिमत समुदाय कृषि कार्य से जुड़ने की बजाय शहरी क्षेत्रों में छिटपुट काम से जुड़ना ज्यादा पंसद करते हैं। मसलन उधमसिंहनगर में ही रुहेलखंड से ही बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों की बसावट हुई है।

ये लोग वैल्डिंग, कारीगरी आदि क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं। दूसरी ओर देहरादून में ही मुस्लिम आबादी के एक दर्जन गांव है जहां जनसंख्या में बहुत अधिक परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है।
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