भोपाल। लगभग दो दशक से बीजेपी द्वारा शासित मध्य प्रदेश देश का चौथा सबसे गरीब राज्य है। मध्य प्रदेश की 37 फीसदी से अधिक आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर बसर कर रही है। इतना ही नहीं प्रदेश के आदिवासी जिलों में आधी से ज्यादा आबादी गरीब है। इस बात का खुलासा खुद नीति आयोग की रिपोर्ट में हुआ है। 

गरीबी के मामले में सबसे टॉप पर भाजपा शासित राज्य बिहार है। बिहार की 52 फीसदी जनता गरीब है। बिहार के बाद झारखंड की 42 फीसदी वहीं उत्तर प्रदेश की 38 फीसदी जनता गरीब है। इन राज्यों के बाद सबसे बदतर स्थिति 2003 से बीजेपी की सत्ता के अधीन मध्य प्रदेश में है। 

प्रदेश की ढाई करोड़ से अधिक की आबदी गरीब है। सबसे बुरी स्थिति प्रदेश के आदिवासी जिलों में है। प्रदेश के 6 आदिवासी जिलों में 50 फीसदी से अधिक जनता गरीबी रेखा के नीचे है। अलीराजपुर में 71 फीसदी से अधिक आबादी गरीब है। झाबुआ की 69 फीसदी जनता जबकि बड़वानी की 62 फीसदी जनता गरीबी में गुजर बसर करने को मजबूर है। वहीं बुंदेलखंड में भी चालीस फीसदी से अधिक लोग गरीब हैं। 

नीति आयोग की यह रिपोर्ट तीन मानकों के आधार पर तैयार की गई है। इन मानकों में स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर है। जीवन स्तर में पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्वच्छता, पानी, बिजली, आवास, बैंकिंग भी इन मानकों में शामिल हैं। 

गरीबी के मामले में मध्य प्रदेश की इस दयनीय स्थिति को लेकर शिवराज सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और कमल नाथ सरकार में मंत्री रहे पीसी शर्मा ने कहा है कि इस रिपोर्ट ने शिवराज सरकार को आईना दिखा दिया है। कांग्रेस नेता ने यह आरोप लगाया कि शिवराज सरकार मध्य प्रदेश को लगातार गरीबी में धकलने का काम कर रही है।