कोलकाता। पेगासस जासूसी कांड पर पश्चिम बंगाल सरकार ने एक जांच के लिए कमेटी का गठन किया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज, जस्टिस मदन बी लोकुर और कोलकाता हाईकोर्ट के पूर्व जज, जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य की कमेटी को पेगासस जासूसी कांड की जांच का ज़िम्मा दिया गया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने सोमवार को इस बाबत एक नोटिफिकेशन जारी किया है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी भी इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के संभावित टारगेट थे और 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान उनके फोन की भी जासूसी करायी गई थी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि जांच कर पता किया जाएगा कि आखिर हैकिंग कैसे और कब की गई थी। उन्होंने कहा है कि ना केवल अभिषेक बल्कि कई लोगों के फोन की टैपिंग हुई है। 

ममता का मानना है कि पश्चिम बंगाल सरकार का ये फैसला अन्य सरकारों को भी जगाएगा ताकि वो ऐसी हरकतों से डर कर बैठने की बजाए आरोपियों के ख़िलाफ़ जांच बैठाएं और कदम उठाएं। जांच पैनल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज एमवी लोकुर और कलकत्ता है कोर्ट के सेवानिवृत्त ज्योतिर्मय भट्टाचार्य करेंगे। 

बता दें कि विपक्ष लगातार पेगासास को लेकर केंद्र पर निशाना साध रहा है। ममता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि हम चाहते थे केंद्र इस मसले पर जांच आयोग बैठाए। लेकिन क्योंकि केंद्र इस बाबत कुछ कर नहीं रहा है तो हमें स्वयं ही कदम उठाना पड़ा।

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उधर जासूसी कांड को लेकर संसद में भी घमासान है। टीएमसी के ही एक सांसद शांतनु सेन ने पेगासस को लेकर आक्रामक विरोध किया था, इसके बाद उन्हें संसद के पूरे मॉनसून सत्र से बर्खास्त कर दिया गया। राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति को पेगासस मामले पर स्थगन का नोटिस भी भेजा है उन्होंने मांग की है कि प्रश्नकाल, शून्यकाल व दूसरे कामकाज को रोक कर पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में चर्चा की जाए।